Home हिंदी संघ का वायरल फोटो 11 साल पुराना, 2012 में अखिलेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन को बताया RSS द्वारा चोरी का

संघ का वायरल फोटो 11 साल पुराना, 2012 में अखिलेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन को बताया RSS द्वारा चोरी का

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फर्जी
योगेश सावंत द्वारा शेयर किया यह फोटो फर्जी है
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राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ यानी RSS। यह एक ऐसी संस्था है जो देश में आपदा पड़ने पर NDRF से पहले अपनी दस्तक दे देती है। चाहे बाढ़ हो, या भूस्खलन, या कोरोना जैसी वैश्विक महामारी, RSS के स्वयंसेवक मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहते है। हाल ही में ओडिसा में दुर्भाग्यपूर्ण ट्रेन हादसा के बाद NDRF की टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ना जाने कितने लोगों की जान बचाई। RSS की यह धर्म निष्ठा वामपंथी और इस्लामिक कट्टरपंथियों को बहुत चुभती है। यही कारण है कि आजकल ट्विटर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा फोटो साझा कर दुष्प्रचार किया जा रहा है।

ट्विटर पर योगेश सावंत ने एक इन्फोग्राफिक इमेज ट्वीट किया। फोटो में एबीपी न्यूज़ प्रतीक चिन्ह लगा हुआ है और दावा किया गया है कि, चेन्नई में मदद के बहाने जेवर चोरी करते पकड़े गए संघ के कार्यकर्ता। इसके अलावा फोटो में पुलिस उपद्रव नियंत्रण करने के भेष में दिख रही है और एक आदमी है जो सफेद शर्ट और खाकी, घुटने तक पायजामा पहना हुआ है।

https://twitter.com/yogi_9696/status/1665390379599036417?s=20

इस फोटो को सोलह हजार लोगों ने देखा है तो वहीं चार सों से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है। बता दें कि यह फोटो साझा करने वाला शख्स ट्विटर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(NCP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार की फोटो लगाया हुआ है।

इस फोटो को फेसबुक पर भी आग की तरह वायरल किया जा रहा है।

रविन्द्र राठी लिखते है, “ यह है RSS वालों का असली चेहरा”

Source- Facebook

एसपी सुरेश ने लिखा, “ RSS का एक स्वयंसेवक बालासोर में मदद के बहाने जेवर चोरी करते पकड़ा गया?”

Source- Facebook

अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में RSS जैसी नैतिक संस्थान वाली के कोई कार्यकर्ता चेन्नई में जेवर चोरी करते हुए पकड़ा गया है? या RSS की छवि धूमिल करने के लिए  विपक्षी दलों की कोई ओछी हरकत है?

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फैक्ट चेक

इस दावा की पड़ताल हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च से शुरू किया। सर्च के उपरांत हमें अमर उजाला की साल 2015 की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में मिली जानकारी चौंका देने वाली थी।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में RSS के कार्यकर्ता अजीत सिंह चाहर ने उत्तरप्रदेश के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री और मध्य प्रदेश के दो कांग्रेसी नेताओं के ऊपर छवि धूमिल करने की कानूनी कार्रवाई की थी।बता दें कि योगेश सावंत द्वारा शेयर की गई तस्वीर अजीत सिंह चाहर की है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, “सीओ सदर असीम चौधरी ने बताया कि  मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, जांच के आधार पर कार्रवाई तय की जाएगी। उधर, एफआईआर दर्ज किए जाने से पूर्व अजीत चाहर ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि पुलिस केस दर्ज करने के बजाय जांच में मामला लटका रही है।

– निर्मल खत्री ने छह दिसंबर को अपने फेसबुक पेज पर अजीत चाहर का फोटो पोस्ट किया था।

– इसके नीचे लिखा, चेन्नई : मदद के बहाने जेवर चोरी करते पकड़े गए संघ के कार्यकर्ता।

– चाहर का दावा है कि आगरा में नवंबर 2012 में हुए पुलिस लाठीचार्ज का यह फोटो अखबारों में छपा था।

– आरोप है कि खत्री ने तीन साल पुराने इस फोटो का गलत इस्तेमाल कर संघ के बारे में दुष्प्रचार किया।”

अमर उजाला की रिपोर्ट
Source- अमर उजाला

रिपोर्ट में आगे लिखा है कि, “अजीत चाहर का आरोप है कि जिस फोटो का गलत इस्तेमाल कर उन्हें निर्मल खत्री और मनीष कुमार ने अब चेन्नई का जेवर चोर बताया है, उसी फोटो को डेढ़ साल पहले मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के नेता मेहुल मारू ने फेसबुक पर अपलोड किया था। तब पोस्ट किया गया था, बेशर्मी, आरएसएस वाला एक लड़की को छेड़ रहा था, पुलिस ने पीटा।”

इस खबर की तह तक जाने के लिए हमने पुराने और भी रिपोर्ट्स खंगालने शुरू किए। ऐसे में नई दुनिया की एक रिपोर्ट मिली, जहां  2012 में हुए प्रकरण का व्याख्या था।

नई दुनिया के रिपोर्ट के अनुसार, “आगरा में 11 नवंबर, 2012 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 70-80 स्वयंसेवकों ने साइकिल यात्रा निकाली थी। यह आंवलखेड़ा से वापस रामबाग लौट रही थी। इसी बीच टेढ़ी बगिया पर स्कॉर्पियो सवार युवकों ने टक्कर मार दी। विरोध पर स्वयंसेवकों को पीट दिया। विरोध दर्ज कराने पहुंचे स्वयंसेवकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। ‘दैनिक जागरण’ ने 12 नवंबर, 2012 के आगरा अंक में घटना के फोटो प्रकाशित किए।”

नई दुनिया की रिपोर्ट
Source- नई दुनिया

इस प्रकरण के तीन साल बाद 2015 में जब आगरा के RSS के स्वयंसेवक अजीत चाहर की दैनिक जागरण में छपी तस्वीर को गलत तरीके से वायरल किया जाने लगा तब उन्होंने मामला में कानूनी कार्रवाई की थी। हालांकि दैनिक जागरण ने भी अजीत चाहर की छवि को धूमिल करने की साज़िश को भंग करते हुए रिपोर्ट लिखा था।

दैनिक जागरण ने साल 2012 में हुए इस मामले की असली तस्वीर भी साझा किया था।

दानिक जागरण द्वारा कवरेज
Source- दैनिक जागरण

दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित की गई वास्तविक फोटो देख के यह साफ हो जाता है कि योगेश सावंत द्वारा शेयर किया गया तस्वीर साल 2012 का है। फोटो में दिख रहें RSS के स्वयसेवक अजीत चाहर है, चाहर आज से तकरीबन ग्यारह साल पहले अखिलेश यादव की सपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की है। 

इसके अतरिक्त हमने एबीपी न्यूज़ की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की, चुकी योगेश सावंत द्वारा शेयर किया गया फर्जी फोटो पर एबीपी न्यूज़ का लोगो लगा हुआ है।

हमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर एबीपी न्यूज़ द्वारा शेयर किया गया 2015 का एक थ्रेड मिला। थ्रेड में एबीपी न्यूज़ वायरल किया गया RSS कार्यकर्ता की तस्वीर का खंडन किया था। 

एबीपी न्यूज़ ने लिखा था कि, “ABP न्यूज़ के हवाले से इस तरह की बेबुनियाद और मनगढ़त खबरें सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही हैं। जो गल़त है।

एबीपी न्यूज़ द्वारा स्पष्टीकरण
Source- एबीपी न्यूज़ (Twitter)

इस रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया तमाम प्रमाण के बाद यह सिद्ध होता है कि योगेश सावंत द्वारा शेयर किया तस्वीर पूरी तरह फर्जी है। एक- तस्वीर ग्यारह साल पुरानी है और दूसरा तस्वीर में दिख रहे RSS  के स्वयंसेवक अखिलेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के दौरान की है। योगेश से पहले 2015 में जिन लोगों ने अजीत चाहर की फोटो का गलत इस्तेमाल किया था उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही भी हो चुकी है।

दावाट्विटर यूजर योगेश सावंत ने दावा किया कि चेन्नई में एक RSS स्वयंसेवक मदद के बहाने जेवर चोरी करते हुए पुलिस ने पकड़ा।
दावेदारट्विटर यूजर
फैक्ट चैकफर्जी
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