मीडिया व इसके पत्रकारों द्वारा एक खबर चलाई गई कि खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो को एफआईआर दर्ज कर जांच करने के अधिकार मिल सकते हैं। इसके लिए मोदी सरकार दिसंबर में शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में बिल लाएगी।
ज़ी न्यूज़ के क्राइम रिपोर्टर जितेन्द्र शर्मा ने एक ट्वीट कर लिखा कि आईबी को जल्द ही मामला दर्ज कर जांच करने के अधिकार मिल सकते हैं। सरकार आने वाले संसद के सत्र में IB Act में संसोधन कर सकती है। अभी तक IB सिर्फ़ ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने का काम करती है।
इसके अलावा मीडिया पोर्टल द न्यू इंडियन ने 16 नवम्बर को “Intelligence Bureau May Get Right To Register FIR” नामक शीर्षक से न्यूज आर्टिकल लिखा। हालांकि, द न्यू इंडियन ने बाद अपना आर्टिकल डिलीट कर दिया।
हमनें इस दावे की पड़ताल की जिसमें सच्चाई बिल्कुल अलग निकली।
Fact Check
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमनें इंटेलिजेंस ब्यूरो को बतौर कीवर्ड ट्विटर पर सर्च किया। इस दौरान केंद्र सरकार के जनसंपर्क विभाग कहे जाने वाले पीआईबी का एक ट्वीट मिल गया।
इस ट्वीट में पीआईबी ने बताया कि कुछ मीडिया रिपोर्टों का दावा है कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा जिसके द्वारा इंटेलिजेंस ब्यूरो प्राथमिकी दर्ज कर सकती है, मामले की जांच कर सकती है और लोगों को पूछताछ के लिए बुला सकती है। ये दावा फर्जी है। ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
इन तमाम बिंदुओं के विश्लेषण से साफ है कि मीडिया रिपोर्ट्स में किया गया दावा कि, मोदी सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा जिसके द्वारा इंटेलिजेंस ब्यूरो FIR दर्ज कर सकती है, गलत है।
Claim | मोदी सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा जिसके द्वारा इंटेलिजेंस ब्यूरो FIR दर्ज कर सकती है |
Claimed by | न्यू इंडियन, जितेंद्र शर्मा |
Fact Check | गलत है |
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जय हिन्द
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