24 अक्टूबर 2022 को एक प्रोपेगेंडा अकाउंट प्रिजनर्स आफ कॉन्शियस इंडिया (POC) ने एक लेख साझा किया जिसका शीर्षक था, “तसलीम अहमद को सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था उस पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है।”
POC की इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली दंगों में अन्य लोगों की तरह तसलीम अहमद पर भी झूठा आरोप लगाया गया है।
POC के इस दावे का हिंदू विरोधी पेज हिंदुत्ववॉच ने भी समर्थन किया है।
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Fact Check
24 फरवरी 2020 से हुए CAA विरोधी प्रदर्शनों से हुए दंगो में 53 लोगों की जान गई थी, इसलिए हमारी टीम ने POC द्वारा किए गए दावे की पड़ताल करने का फैसला किया। पड़ताल के लिए “तसलीम अहमद” कीवर्ड सर्च करने पर हमें तसलीम अहमद की जमानत याचिका मिली, जिसे दिल्ली की अदालत ने CAA विरोधी दंगों से संबंधित होने के कारण, CrPc की धारा 439 तथा UAPA की धारा 53D के तहत खारिज कर दिया था।
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जमानत याचिका के आदेश में, विशेष लोक अभियोजक (SPP) अमित प्रसाद ने कहा कि तसलीम सीलमपुर और जाफराबाद के विरोध प्रदर्शनों को उकसाने के लिए गुलफिशा (दिल्ली दंगों के आरोपियों में से एक) के साथ सक्रिय रूप से शामिल था। तसलीम, उमर खालिद, खालिद सैफी, नताशा और मीरान से संपर्क में था और यहां तक कि दिल्ली के चांद बाग इलाके में चक्काजाम के लिए, 16 और 17 फरवरी 2020 को आधी रात को हुई गुप्त बैठक में भी मौजूद था जिसमें यह तय किया गया था कि प्रदर्शन के लिए तेजाब और पत्थर लाने है। इसके अलावा SPP ने कहा कि वह ‘वॉरियर’ और ‘औरतों का इंकलाब‘ नामक दो व्हाट्सएप ग्रुप का भी हिस्सा था।
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स्त्रोत – दिल्ली अदालत
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इसके अलावा SPP ने कहा कि संरक्षित गवाह ‘डेल्टा‘ और ‘जॉनी‘ (CrPc की धारा 164 के तहत) ने देखा था कि 15 जनवरी 2020 को सीलमपुर बस स्टॉप 66 फुटा रोड पर, तसलीम, गुलफिशा और पिंजरा तोड़ के अन्य सदस्यों के साथ विरोध प्रदर्शन पर बैठा था। पुलिस ने उन्हें हटाने का प्रयास किया लेकिन वे वहा से हटे नहीं।
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आगे SPP ने कहा कि एक अन्य संरक्षित गवाह स्मिथ ने 15 जनवरी 2020 को रात 9:00 बजे से सुबह 12:00 बजे तक उमर खालिद और महमूद प्राचा को भाषण देते हुए देखा था। तसलीम, गुलफिशा और अन्य लोग के साथ सीलमपुर जाफराबाद की स्थानीय महिलाओं को धरने के लिए बाहर आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। ये लोग उन महिलाओं को कहा करते थे अगर वे अपने साथ दस्तावेज नहीं रखेगी तो उन्हें व उनके परिवार को डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाएगा।
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अंत में हमारी पड़ताल में यह ध्यान में आया कि तसलीम अहमद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अमिताभ रावत ने घोषणा की थी कि, “सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए यह माना जाता है कि तसलीम के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप प्रथम दृष्टया सही है और इसलिए तसलीम जमानत अर्जी खारिज की जाती है।”
उपरोक्त तथ्यों से पता चलता है कि POC और हिंदुत्व विरोधी पेज हिंदुत्ववॉच द्वारा किया गया दावा कि, तसलीम एक कोचिंग सेंटर का संचालक है और निर्दोष है, पूरी तरह से झूठा है। वह दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत के आरोपियों में से एक था।
दावा | दिल्ली इसने तस्लीम अहमद पर दिल्ली दंगों में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया |
दावेदार | प्रिजनर्स आफ कॉन्शियस इंडिया (POC) और हिंदू विरोधी पेज हिंदुत्ववॉच |
फैक्ट चैक | झूठा |
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