मुजफ्फरनगर में एक शादी समारोह में शामिल होने आए युवक को पशु चोरी के शक में पेड़ में बांधकर लाठी-डंडों से पीटा गया। मुस्लिम युवक मुकीम को पीटे जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वायरल वीडियो के साथ धार्मिक रंग देने के भी पुरजोर कोशिश की जा रही है।
दरअसल बात यह है कि, मुजफ्फरनगर के थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव बरवाला निवासी वैदिक के छोटे भाई की शादी रविवार को थी। शादी में शामिल होने के लिए वैदिक का खानदानी भाई मुकीम पुत्र शाहबुद्दीन निवासी पसोंडा गाजियाबाद भी परिवार के साथ आया था। रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार रात मुकीम जब साथियों के साथ शॉपिंग कर वापस गांव बरवाला लौट रहा था, तो गढ़ी दुर्गनपुर गांव के समीप उनकी कार से एक दूसरा वाहन टकरा गया और फिर कार खराब हो गई।
गाड़ी खराब होने के बाद मुकीम पैदल चलने लगा इसी बीच गांव के कुछ लोगों ने मुकीम को दबोच लिया और उसे पेड़ से बंधक बनाकर पीटा। उसके पिटने का वीडियो बना और उसे सांप्रदायिक रंग देकर वायरल कर दिया गया।
फिर क्या था, देखते ही वीडियो ने सनसनी फैला दी। ट्विटर पर facts check नाम से एक हैंडल ने वीडियो शेयर कर लिखा कि, “उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का हाल”
अम्बरीष त्यागी, कांग्रेस पार्टी के शुभचिंतक ने ट्विटर पर लिखा कि, “योगी और संघ+मोदी की बोई गई नफरत के जहर का तमाशा है यह जो हिन्दुओ को इंसान से नफरती हैवान मे तपदील कर रहा है”
एक अन्य यूजर ने इसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए लिखा कि, “आ गए चमचे मालिक को खुश करने”
कांग्रेस पार्टी के एक और शुभचिंतक ने लिखा कि, “ उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर भीड़ ने युवक मुकीम निवासी गांव बरवाला को दी भयावह सजा कार खराब होने पर पैदल आ रहा था, लोगो ने समझा पशु चोर।पुलिस को सूचना देना सही नही समझा। अब तो बहुत भयावह होती जा रही हैं देश की स्थिति।”
अलतमाश राजा खान ने लिखा कि, “जब तक प्रशासन ऐसे लोगो के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लेगा तब तक मुसलमानों की पशुओं के नाम पर मॉब लिंचिंग कर हत्याए होती रहेंगी। अपराध को जितना बढ़ावा मिलेगा अपराध उतना ही बडेगा।”
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ऊपर सभी ट्विटर यूजर्स ने एक ही मंसा से ट्वीट किया कि, मुस्लिम युवक की हिन्दुओं की भीड़ ने पीट दिया। क्या यह सच है? चलिए देखते है।
इस मामले की पड़ताल करने के लिए हमने गूगल पर “ मुजफ्फरनगर युवक हमला” कीवर्ड टाइप कर सर्च किया। सर्च करने पर हमने पाया कि कुछ मुख्यधारा मीडिया ने इस खबर को रिपोर्ट किया है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने मारपीट करने वाले दो लोगों को दबोच लिया। प्रभारी निरीक्षक थाना शाहपुर ने बताया कि इस मामले में गढ़ी दुर्गनपुर निवासी इमरान व काजिम को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।”
दैनिक भास्कर के मुताबिक मुकीम को तालिबानी सजा देने वाले कोई हिंदू नहीं बल्कि मुस्लमान है। जिनका नाम इमरान और काजिम है।
इस मामले की तह में जाने के लिए हमने मुजफ्फरनगर पुलिस का ट्विटर अकाउंट देखा, जहां हमें जानकारी मिली कि, वीडियो वायरल होने के बाद मुजफ्फरनगर पुलिस ने दो लोगों को पकड़ा है। पुलिस के मुताबिक अब क्षेत्र का माहौल शांत है।”
मुजफ्फरनगर पुलिस की कार्यवाही को देखते हुए हमने मामले से जुड़ा FIR ढूंढ़ निकाला। FIR की कॉपी से हमें यह जानकारी मिली कि मुकीम पर हमला के आरोप में सात आरोपी नामजद है। जिनका नाम है – शराफत, कासिम, इमरान, जकरिया, मुस्तफा उर्फ काला, महबूब, और इमरान।
हमारी आगे की पड़ताल ट्विटर पर हुआ, डिजिटल पत्रकार सचिन गुप्ता ने अपने ट्वीट में युवक की पिटाई का वीडियो साझा कर लिखा था कि, “मुजफ्फरनगर में मुकीम को पेड़ से बांधकर डंडे से पीटा। 2 आरोपी इमरान व काजिम अरेस्ट हैं। बताया जा रहा है कि रात में कार खराब होने पर मुकीम पैदल आ रहा था। पशु चोर के शक में कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया।”
इतने तथ्यों के आधार पर अब यह साबित हो चुका है कि, मुकीम पर हमला पशु चोरी के शक से ज़रूर हुआ था, लेकिन हमलावर हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम थे। अतः इस पूरे प्रकरण में सांप्रदायिक एंगल नहीं है। मुकीम को उसी के मजहब के लोगों ने गलतफहमी की वजह से तालिबानी सजा दी है।
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दावा | मुजफ्फरपुर में एक युवक को पेड़ से बांध कर हमला किया गया। हमले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश। |
दावेदार | हिंदू विरोधी ट्विटर यूजर्स |
फैक्ट-चैक | भ्रामक |
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