“इंसानियत” का अर्थ होता है, मानवता, यानी दूसरे मानव के प्रति बिना किसी भेद भाव का प्रेम और सदभावना का भाव होना लेकिन जब इस इंसानियत में धर्म के छीटें पड़ जाए तो वो इंसानियत नहीं पाखंड हो जाता है। ट्विटर पर भी कुछ ऐसा ही हुआ। मोहम्मद शेर अली ने एक वीडियो ट्वीट कर दावा किया कि एक पुजारी की तबीयत खराब हो गई, कोई मदद नहीं किया लेकिन हिजाब पहनें बहन और उसका पति यानी मुस्लिम दंपति ने पुजारी की मदद कर दी।
मोहम्मद शेर अली ने वीडियो ट्वीट कर लिखा कि, “मंदिर के पुजारी अपने बेटे को गोद में लेकर रोड पार कर रहा थे, तभी अचानक तबीयत खराब होने के कारण गिर गए,आसपास के रहने वाले कोई न आया, परंतु हिजाब पहनी बहन और उसके पति ने जाते वक्त पुजारी को देखा,और तुरंत रुक गए और मदद कर पुजारी कि जान बचा ली.ये इंसानियत हैं।”
इसके बाद मोहम्मद ने विनोद कापड़ी और आर ज साईमा को टैग किया।
मोहम्मद शेर अली ने विनोद कापड़ी और आर जे सायमा को क्यों टैग किया यह समझ से परे है, और मोहम्मद ने वीडियो देख कर यह कैसे अनुमान लगा लिया कि मोटरसाइकिल चालक और हिजाब पहने महिला रिश्ते में पति और पत्नी है यह भी समझ से परे है।
आर जे सायमा और ने भी मोहम्मद के ट्वीट का हवाला देते हुए लिखा कि, “इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है।” हालांकि साईमा ने फिलहाल ट्वीट को डिलीट कर दिया है।
ओमार अब्बास हयात ने भी मोहम्मद के ट्वीट का हवाला देते हुए लिखा कि, “ यह वीडियो तो काल्पनिक लग रहा है। मुझे यकीन है मुस्लिम ऐसे मामले में मदद करेंगे लेकिन यह चाचा केफियेह और टोपी पहने हुए है और चाची पूरा नक़ाब लेकिन चाचा पीछे खड़े हो जाते और चाची को अर्धनग्न शरीर को आराम से छूने देते हैं?”
अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में मंदिर का एक पुजारी अपने बच्चे को गोद में लिया था और उसकी तबीयत बिगड़ जाता है और मदद करने के लिए कोई नहीं आता, तब तक फ़िल्म के हीरो की तरह एक मुस्लमान जोड़ा आता है और पुजारी की जान बचा लेते है?
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क्या है इस वीडियो और मोहम्मद के दावे के पीछे सच्चाई? चलिए देखते हैं।
फैक्ट चेक
हमने मोहम्मद द्वारा शेयर किया गया वीडियो का कीफ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें यह वीडियो फेसबुक पर भी मिला। फेसबुक पर भी बिलाल खान नामक यूजर ने साझा कर इस्लाम धर्म की जय जयकार लगाई है। बिलाल खान ने मोहम्मद से दो कदम आगे निकल पंडित जी की बीमारी और डॉक्टर ने उन्हें मुस्लिम बाइक वाले की मदद से ठीक कर दिया ऐसा दावा भी किया।
इसके बाद आगे की पड़ताल करने के बाद हमें वीडियो का मूल स्रोत मिला, एक यूट्यूब चैनल है जिसका नाम ‘3rd Eye’ है।
हमें इस यूटयूब चैनल पर मोहम्मद द्वारा शेयर किया गया वीडियो मिला। लेकिन यह वीडियो में मानवता का प्रमाण नहीं है बल्कि नाटक है, मतलब वीडियो एक फ़िल्म की तरफ है।
वीडियो के किरादार यानी पुजारी, बच्चा, मुस्लिम दंपति यह सब एक नाटक है। वीडियो को असल जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है। वास्तविकता में कोई मुस्लिम दंपति किसी पुजारी को जान से नहीं बचाया है। कुल मिलाकर मोहम्मद शेर अली द्वारा किया गया दावा भ्रामक है।
यह यूट्यूब चैनल ऐसे पटकथा वीडियो बनता है यानी वीडियो बनाने से पहले उसकी लेख लिखी जाती है, एक्टर चुने जाते है और वीडियो को ऐसे शूट किया जाता जैसे लगे कि सीसीटीवी कैमरे का फुटेज है अतार्थ चैनल का नाम 3rd eye
यह बहुत आश्चर्य की बात है कि मोहम्मद शेर अली को इस्लाम धर्म का इंसानियत वाला रूप दिखाने के लिए एक स्क्रिप्टेड फ़िल्म का सहारा लेना पड़ा। खैर, ऐसी फर्जी- भ्रामक वीडियो और खबर के ऊपर से पर्दा उठाने के लिए Only Fact सदैव तत्पर है।
दावा | ट्विटर यूजर ने एक वीडियो साझा कर लिखा कि एक मुस्लिम जोड़ा एक पुजारी की तबीयत बिगड़ी जाती है तो उसकी मदद करते है। |
दावेदार | ट्विटर यूजर |
फैक्ट चैक | भ्रामक |
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