इन दिनों राम सेतु को लेकर एक खबर हर ओर चल रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने संसद में कहा है कि राम सेतु का कोई ठोस सबूत नहीं है।
द टेलीग्राफ ने एक शीर्षक के साथ एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें लिखा था, “राम सेतु का कोई निर्णायक प्रमाण नहीं: संसद में सरकार।” इस शीर्षक के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई कि संसद में भाजपा सरकार ने राम सेतु पुल के अस्तित्व से इनकार किया है।
इसके अलावा, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने द टेलीग्राफ की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट इस दावे के साथ साझा किया कि मोदी सरकार ने संसद में कहा कि राम सेतु का कोई ठोस सबूत नहीं है। ट्विटर यूज़र स्वाति मिश्रा ने भी इसी दावे का समर्थन किया था।
हमारी टीम ने इस मामले को लेकर पड़ताल की। हालांकि हमारी पड़ताल में दावे की सच्चाई इससे बिल्कुल अलग निकली।
Fact Check
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने ट्विटर पर कार्तिकेय शर्मा की टाइमलाइन देखी। जैसा कि द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में बताया गया था कि यह सवाल संसद में राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा द्वारा पूछा गया था। 22 दिसंबर को कार्तिकेय शर्मा द्वारा साझा किए गए वीडियो में को हमने पूरा सुना। शर्मा के सवाल क्या सरकार भारत के अतीत का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए कोई कदम उठा रही है, का जवाब केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दिया था।
इस दौरान मंत्री कहते हैं, “मुझे खुशी हो रही है कि हमारे सांसद ने रामसेतु को लेकर सवाल किया। इसे लेकर हमारी कुछ सीमाएं हैं। क्योंकि ये करीब 18 हजार साल पहले का इतिहास है। जिस पुल की बात हो रही है वो करीब 56 किमी लंबा था। अंतरिक्ष तकनीक के द्वारा हमने पता लगाया कि समुद्र में पत्थरों के कुछ टुकड़े पाए गए हैं, इनमें कुछ ऐसी आकृति है जो निरंतरता को दिखाती हैं। समुद्र में कुछ आइलैंड और चूना पत्थर जैसी चीजें दिखीं हैं।“
उन्होंने आगे कहा कि, “अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो ये कहना मुश्किल है कि रामसेतु का वास्तविक स्वरूप वहां मौजूद है। हालांकि कुछ संकेत ऐसे भी हैं जिनसे ये पता चलता है कि संरचना वहां मौजूद हो सकती है। हम लगातार प्राचीन द्वारका शहर और ऐसे मामलों की जांच के लिए काम कर रहे हैं।”
इसके अलावा यूट्यूब पर भी हमें एक वीडियो मिला जिसमें सवाल जवाब में वास्तव क्या हुआ !
पूरा वीडियो देखने के बाद हमने पाया कि कार्तिकेय को अपने जवाब में कहीं भी जितेंद्र सिंह राम सेतु पुल के अस्तित्व से इनकार नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा कि उन्होंने पुल के कुछ साक्ष्य खोजे हैं, लेकिन पुल के पुराने होने के कारण, खोजने में कुछ सीमाएँ हैं। द टेलीग्राफ और कुछ प्रमुख ट्विटर यूजर्स ने अपने प्रोपोगेंडा को आगे बढ़ाने और लोगों को गुमराह करने के लिए जानबूझकर डॉ. जितेंद्र सिंह के बयान को तोड़मरोड़कर पेश किया।
Claim | भाजपा सरकार ने राम सेतु पुल के अस्तित्व को नकारा है |
Claimed by | द टेलीग्राफ, पवन खेड़ा और स्वाति मिश्रा |
Fact Check | दावा भ्रामक है |
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जय हिन्द
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