विश्व की सबसे बड़ी फुटबॉल संस्था फीफा ने भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस निलंबन के चलते अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के मेजबानी अधिकार भारत से छिन गए।
हालांकि निलंबन के निर्णय पर कांग्रेस ने सत्ताधारी दल भाजपा को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एआईएफएफ के निलंबन को लेकर एक इन्फोग्राफिक ट्वीट किया गया जिसमें कहा गया “भारतीय खेलों का भाजपा का स्वर्ण युग फीफा द्वारा निलंबित एआईएफएफ भारत अब महिला विश्व कप की मेजबानी नहीं करेगा कारण: ‘तृतीय दलों से अनुचित प्रभाव’ !”
कांग्रेस ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि फीफा द्वारा एआईएफएफ का निलंबन कई सवाल उठाता है, सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण – ये ‘थर्ड पार्टी’ कौन हैं? क्या जवाब देंगे पीएम मोदी या उनकी पार्टी?
Fact Check
हमनें इस मामले में पड़ताल की तो तथ्य कुछ और ही निकलकर आए।
हमारी पड़ताल में सबसे पहले हमनें यह जानने की कोशिश की क्या फीफा ने निलंबन की कार्रवाई अचानक की है ? इसके जवाब में ज्ञात हुआ कि फीफा ने AIFF को 5 अगस्त 2022 को एक पत्र भेजा था जिसमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के कारण भारत पर प्रतिबंध लगाने और उससे अंडर-17 महिला विश्व कप के मेजबानी अधिकार वापस लेने की धमकी दी थी।
फीफा ने यह पत्र सुप्रीम कोर्ट के AIFF के चुनाव करवाने के निर्देश दिए जाने के बाद भेजा था। AIFF के चुनाव 28 अगस्त को होने तय है। अभी AIFF का संचालन प्रशासकों की एक समिति (CoA) कर रही है जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किया गया था।
बता दें कि अपने कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर रहने के लिए उच्चतम न्यायालय ने इसी साल मई में AIFF के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ NCP नेता प्रफुल्ल पटेल को पद से हटा दिया था।
11 अगस्त 2022 को इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार फीफा और एशियाई फ़ुटबॉल परिसंघ (AFC) से भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दिलवाई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (CoA) ने बुधवार को एक अवमानना याचिका दायर की।
तमाम रिपोर्ट्स के विश्लेषण से साफ है कि फीफा द्वारा AIFF के निलंबन के लिए भाजपा को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता और कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यों से परे हैं।
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जय हिन्द
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