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तारेक फतह की मौत की अफ़वाह फैलाकर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मनाया जश्न

अपडेट – आपको बता दें कि, 24 अप्रैल 2023 को पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक और स्तंभकार तारेक फतेह का सोमवार को निधन हो गया। वह 73 साल के थे। वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी बेटी नताशा ने तारेक के निधन की पुष्टि की है।

एक असत्यापित वायरल खबर की क्या-क्या संभावनाएं हो सकती हैं? बेशक वो पल भर में कुछ लोगों को क्षणिक खुशियां दे सकता है तो वहीं कुछ लोगों को निराश भी कर सकता है। कल शाम भी कुछ ऐसा ही हुआ, माने- जाने विद्वान, लेखक, पत्रकार और टेलीविजन पर तर्क- वितर्क करने वाले तारेक फतह की मौत की खबर वायरल हो गई है।

चुकी तारेक फतह इस्लाम धर्म के विद्वान है, उन्होंने कई बार इस्लाम और हिन्दुस्तानी मुस्लमान पर अपनी राय खुल कर रखी है। ऐसे में जब आचनक तारेक फतह की मौत की खबर उड़ी तो उनसे नफरत करने वालों की लंबी फेहरिस्त लग गई।

युसुफ ए अहमद अंसारी ने कुरान का हवाला देते हुए लिखा कि, “उनके लिए इस जीवन और इसके बाद की जीवन में सजा बहुत कठोर होगी। और उन्हें बचाने के लिए अल्लाह का भी साथ नहीं होगा” 13:34 Al- Quran. Surah Ar- Ra’d

अजीब खान, तारेक फतह की हॉस्पिटल की फोटो साझा करते हुए लिखा कि, “तारेक फतह जो कि एक मनोरोगी था, इस्लाम के विरूद्ध प्रोपगेंडा फैलता था। वो एक झूठा, इस्लामफोबी और भारतीय मुस्लमान के ऊपर नरसंहार को उकसाने वाला था। अच्छा हुआ मर गया अलहम्दुलिल्लाह।”

रेजिना सुल्ताना ने तारेक फतह की बेटी के ट्वीट के ऊपर ट्वीट कर लिखा कि, “उम्मीद है तुम्हारे संघी पाकिस्तानी पिता को जलाया जाएगा न कि दफनाया जाएगा। इतना झूठ और प्रोपगेंडा फैलाने के बाद थोड़ा सा तोहफा तो बनता है”

सैयद अताउल्लाह शाह ने तो तारेक फतह की मौत की खबर सुनकर खुशी से झूम उठा। सैयद ने तारेक फतह की मौत की खबर को वायरल करने के लिए बाक़ायदा पोस्टर भी छापा, अपना पोस्टर साझा करते हुए सैयाद ने लिखा कि, “इस्लाम अभी भी है। इस्लाम अभी भी चमक रहा है। मुस्लिम अभी भी जिंदा है, लेकिन जाना माना इस्लामफोबी नहीं रहा, अलहम्दुलिल्लाह।”

इनके अलावा और भी बहुत सारे लोगों ने तारेक फतह की मौत की खबर सुनकर अपनी भावनाएं व्यक्त किया। आप इन्हें यहां, यहां और यहां देख सकते है।

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फैक्ट चेक

Only Fact अपनी पड़ताल की शुरुआत तारेक फतह की ट्विटर हैंडल से किया, लेकिन वहां कोई ज़रूरी जानकारी नहीं प्राप्त हुआ। जिसके बाद उनकी बेटी नताशा फतह का ट्विटर अकाउंट देखने के बाद तारेक फतह की स्वस्थ होने की जानकारी मिली।

आगे कि पड़ताल में पता चला कि नताशा फतेह ने अपने पिता का एक पुरानी ट्वीट कर कमेंट कर लिखा कि, “मेरे गौरवशाली पिता जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी का हर एक दिन जी भर के जिया। जय हिन्द. तारेक फतह  ज़िंदाबाद।”

यही वो ट्वीट है जो तारेक फतह  के चाहने वाले और उनसे नफरत करने वाले दोनों के बीच बहुत तेज़ी से वायरल हो गई। हालांकि यह ट्वीट वायरल होने के बाद नताशा ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया।

नताशा के इस ट्वीट को लोगों ने गलत अर्थ निकाल लिया और फतह की मौत से इसे जोड़कर देखने लगे।

नताशा का ट्वीट आग की तरह फ़ैल जाने के बाद, नताशा एक और ट्वीट में स्पष्टीकरण देते हुए लिखा कि, “ आप सभी को मेरे पिता और मेरे परिवार को अपने प्रथानाओं में रखने के लिए धन्यवाद। उन्हें खुशी है कि उनके चाहने वाले उनके बारे में चिंता कर रहें हैं। वो ईद के मौके पर अपने परिवार और दोस्तों के बीच है।”

यह ट्वीट आने के बाद उनके चाहने वालों के बीच खुशी कि लहर दौड़ गई और उनसे नफरत करने वाले हर बार की तरह इस बार भी हाथ मलते रह गए।

Only Fact ने इस मामले की और जांच पड़ताल किया तो पता चला कि, द जयपुर डायलॉग नामक ट्विटर हैंडल ने भी स्पष्टीकरण देते हुए लिखा था कि, “ हमारे योद्धा तारेक फतह अभी भी जिंदा है। आप किसी तरफ के अफ़वाह पर ध्यान ना दें। हम उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखे हुए है।”

इसके बाद Only Fact ने गूगल पर “ तारेक फतह  की मौत अफ़वाह” कीवर्ड टाइप किया जिसके उपरांत हमें कई सारे लेख मिले जिन्होंने फतेह की मौत को भ्रामक कहा। नवभारत टाईम्स ने लिखा कि, “तारेक फतह के निधन की अफवाह पर श्रद्धांजलियों का तांता, बेटी नताशा के ट्वीट से हुई उलझन।”  नवभारत टाईम्स ने भी फतह कि मौत की खबर को बेबुनियाद बताया।

आपको बता दें कि, तारेक फतह  कैंसर से पीड़ित है। वो कैंसर से डटकर मुक़ाबला कर रहें है, उनका इलाज टोरंटो के एक अस्पताल में चल रहा है। टोरंटो के अखबार टोरंटो सन के अनुसार, ‘तारेक फतह को देखने के लिए उनके चाहने वालों की लाइन लगी रहती है। हॉस्पिटल में उनसे मिलने वालों की कतारें खत्म होने की नाम नहीं लेती है।’

गौरतलब है कि कैंसर से पीड़ित तारेक फतह  प्रतिदिन अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहें है ऐसे में ट्विटर पर उनकी मौत की खबर सुनकर खुशियां मनाने वालों ने बेरहमी की सारे सीमाएं लांघ दी है। हालांकि तारेक फतह ईद के मौके पर अपने परिवार और दोस्तों के बीच सकुशल है। 

ऐसा कहते हैं कि इंसानियत का कोई धर्म नहीं होता है लेकिन हैवानियत का धर्म क्या होता है आज कट्टर इस्लामिस्टों ने साफ कर दिया है। तर्क- वितर्क जीवन का एक हिस्सा है लेकिन किसी के मौत पर खुशियां मानना यह एक नए स्तर की नीचता है। इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है।

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दावामशहूर लेखक और पत्रकार तारेक फतह की मृत्यु
दावेदारकट्टरपंथी इस्लामिक ट्विटर यूजर्स
फैक्ट चैकभ्रामक

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जय हिन्द

Vikrant Singh

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