सोशल मीडिया पर एक वीडियो इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि पुलिस ने “भारत माता की जय” का नारा लगा रहे लोगों की भीड़ के साथ मुस्लिमों पर लाठीचार्ज किया। इस घटना का इस तरह से चित्रण किया जा रहा है कि बीजेपी सरकार में मुस्लिम हमेशा से अन्याय के शिकार रहे हैं।
इस वीडियो को हिन्दू विरोधी पार्टी AIMIM के प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी सहित कई वाम-पंथी और इस्लामिक ट्वीटर हैंडल्स जैसे आरफा खानम शेरवानी, अशोक स्वैन, इंडियन अमेरीकन मुस्लिम कॉउन्सिल और हिंदुत्ववॉच पेज द्वारा शेयर किया गया है।
इस्लामी प्रोपोगंडा पत्रकार सबा नकवी ने ट्वीट कर कहा कि यह छवि हमेशा हमारे साथ रहेगी। अगली बार जब आप कहीं पर बड़ी संख्या में लोगों पर कोड़े बरसाने की घटना के बारे में सुने तो स्वयं को बड़ा महसूस न करें और कहे कि हमारे लोकतांत्रिक देश में कानून का राज है।
फैक्ट चैक
पुलिस द्वारा एक खास वर्ग पर लाठीचार्ज को लेकर कही जा रही बातों को लेकर हमनें इस मामले की गहन पड़ताल की।
इस मामले की पड़ताल के लिए जब हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किए तो हमें इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार यह मामला गुजरात के खेड़ा जिले के मातर तालुका गांव का है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले की FIR, जिसमें गांव के सरपंच का हवाला दिया गया है, के अनुसार जैसे ही गांव में गरबा खेलना शुरू हुआ, गांव के कुछ मुस्लिम पुरुषों ने महिलाओं और छोटी बच्चियों को गाली देना शुरू कर दिया और कहने लगे कि घर लौट जाओ। इसके बाद कुछ ही सेकण्ड्स में भीड़ जमा हो गई और डीजे के ट्रक में तोड़फोड़ की। जिसके बाद भीड़ की महिलाओं द्वारा गरबा खेल रही महिलाओं पर हमला किया गया।
बाद में पुलिस द्वारा अपराधियों को हिरासत में लिया गया और उन्हें उस स्थान पर दण्डित किया जहाँ गरबा का आयोजन किया गया था।
हमारी पड़ताल में हमें ANI न्यूज़ एजेंसी का इस घटना पर किया गया ट्वीट भी मिला। इस ट्वीट के अनुसार, खेड़ा जिले के DSP राजेश गढ़िया ने कहा कि गरबा के दौरान हमला करने वाली भीड़ का नेतृत्व आरिफ और जहीर नाम के दो लोगों ने किया था, जिन्होंने पहले अशांति पैदा की, जो बाद में पथराव में बदल गई। इस घटना में 6 लोग घायल हो गए थे।
उन्होंने आगे कहा कि 150-200 लोगों में से 43 लोगों की पहचान की गई है और उन पर अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। 43 आरोपियों में से 10-11 आरोपियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
हमने अपनी पड़ताल में पाया कि गुजरात पुलिस ने मुस्लिम पुरुषों पर लाठीचार्ज किया क्योंकि उन्होंने गरबा के दौरान लोगों पर धावा बोल दिया था, पत्थर फेंके और गरबा में मौजूद महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया था। वाम-पंथियों और AIMIM द्वारा यह कहना कि मुस्लिम पुरुषों को इसलिए पीटा गया क्योंकि वे अल्पसंख्यक समूह से संबंधित थे, पूरी तरह से भ्रामक है।
दावा | मुस्लिम पुरुषों को गुजरात पुलिस ने इसलिए पीटा क्योंकि वे अल्पसंख्यक समुदाय से थे |
दावेदार | असदुद्दीन ओवैसी, आरफा खानम शेरवानी, सबा नकवी, हिंदुत्व वॉच पेज, अशोक स्वैन और इंडियन अमेरिकन काउंसिल |
फैक्ट चैक | भ्रामक |
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जय हिन्द !