Home Others नहीं, PFI कोई लोकतांत्रिक आवाज नहीं बल्कि एक कट्टरपंथी समूह है 

नहीं, PFI कोई लोकतांत्रिक आवाज नहीं बल्कि एक कट्टरपंथी समूह है 

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PFI काफी लंबे समय से NIA के रडार पर है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों के चलते में कई राज्यों में PFI के राज्य और जिला स्तर के कार्यालयों और आवासों पर छापेमारी की। 

PFI के कई सदस्यों को NIA ने हिरासत में लिया, जिसमें पी. कोया, राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य ओ.एम.ए. सलाम, प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. मुहम्मद बशीर और राष्ट्रीय महासचिव वी.पी. नसरुद्दीन एलमारम शामिल है। 

PFI के दफ्तरों पर छापेमारी और और इसके सदस्यों को हिरासत में लिए जानें के कारण इसके समर्थकों में हलचल मच गई। PFI के अधिकारियों के घरों और कार्यालयों पर छापेमारी की निंदा करने वाली पोस्ट की सोशल मीडिया पर बाढ़ आ गई। 22 सितंबर 2022 को इस्लामिक संगठन PFI की छात्र शाखा द कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) ने PFI के समर्थन में एक ट्वीट किया और उन्हें लोकतंत्र की आवाज बताया। क्या पीएफआई वास्तव में एक लोकतांत्रिक आवाज है?

https://twitter.com/CampusFrontInd/status/1572836347345129472?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1572836347345129472%7Ctwgr%5E6404b793a21a1bf93a137be07c563aeb6da5ab8b%7Ctwcon%5Es1_c10&ref_url=https%3A%2F%2Fonlyfact.in%2Fno-pfi-is-not-a-democratic-voice-but-a-radical-outfit%2F

आर्काइव लिंक 

हमने अपनी पड़ताल में पाया –

PFI एक इस्लामिक संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 2006 में केरल में हुई थी। कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (KDF) और नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) ने साथ मिलकर PFI (NDF) बनाया। जिसके बाद दक्षिण से उत्तर तक PFI ने अपनी जड़े जमा ली। यह इस्लामी राजनीतिक समूह देश के भीतर सांप्रदायिक संघर्ष को भड़काने, देशद्रोह के आरोपों और योजनाओं सहित कई सारे विवादों के कारण सुर्खियों में रहा है।

यहाँ कुछ तथ्य हैं जो हमने भारत की इस तथाकथित “लोकतांत्रिक आवाज़” के बारे में खोजे हैं:

आतंकवादी गतिविधियाँ 

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, NIA ने केरल की कोच्चि विशेष न्यायालय में PFI के दफ्तरों पर छापेमारी और इसके सदस्यों की गिरफ्तारी के कारणों की अपनी रिपोर्ट सौंपी। NIA की रिपोर्ट में कहा गया है कि PFI ने अवैध गतिविधियों में शामिल होने की योजना बनाई थी जिससे धार्मिक उन्माद पैदा होता। NIA का दावा है कि PFI सक्रिय रूप से कमजोर युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, ISIS और अल-कायदा सहित अन्य आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए भर्ती कर रहा था। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि PFI ने भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए हिंसक जिहाद और आतंकवादी गतिविधियां करने की योजना बनाई थी

Source- Hindustan Times

यह पहली बार नहीं है जब PFI के आतंकी संगठन से संबंध होने का संदेह है। वर्ष 2010 की इंडिया टीवी की रिपोर्ट के अनुसार PFI पर स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से संबंधित होने का आरोप था। यह कहा गया था कि प्रतिबंधित SIMI के सदस्य PFI के तहत अपना विस्तार कर रहे थे। गृह मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, भारत सरकार ने देश भर में आतंकवादी हमलों में  SIMI भूमिका होने के कारण इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया था

PFI के कई सदस्य SIMI के हैं, जिनमें से एक PFI के वाइस चेयरमैन ई.एम. अब्दुल रहिमन है, जिसने 1982 से 1993 तक SIMI के महासचिव के रूप में कार्य किया। इसके अलावा PFI के राष्ट्रीय नेतृत्व के सदस्य प्रोफेसर पी. कोया, जिसने SIMI के संस्थापक सदस्य के रूप में कार्य किया था तथा PFI की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ई. अबूबकर, जिसने SIMI की केरल इकाई का नेतृत्व किया था। 

Source- India TV

SP’s Land Forces की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, PFI के सदस्यों को जुलाई 2010 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिसके बाद केरल पुलिस ने कई बंदूकें, CDs और अन्य दस्तावेज बरामद किए थे जो तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के एजेंडा के प्रचार से संबंधित थे।

केरल सरकार ने वर्ष 2012 में हत्या के 27 मामलों में PFI की सक्रिय भूमिका के बारे में केरल उच्च न्यायालय को भी अधिसूचित किया था। इन हत्याओं में मारे गए लोगों में ज़्यादातर CPI-M और RSS के कर्मी थे।

अप्रैल 2013 में केरल पुलिस द्वारा उत्तरी केरल PFI प्रशिक्षण केंद्रों की तलाशी की गई थी। यहाँ से अग्निअस्त्र, विदेशी नकदी, लक्ष्य अभ्यास के लिए मानव लक्ष्य, बम, कच्चे विस्फोटक सामग्री, बारूद, तलवारें जैसे सामान जब्त किए गए थे। इसके अलावा, नारथ तथा कन्नूर में एक ट्रेनिंग फैसिलिटी की तलाशी ली गई थी, जहाँ से 21 PFI सदस्यों से आतंक से संबंधित सामग्री और एक डोजियर के साथ हिरासत में लिया गया। कई प्रमुख लोगों और संगठनों के नाम PFI की हिट लिस्ट में शामिल थे।

Source- SP’s Land forces

इस साल असम में दो जिहादी मॉड्यूल को नष्ट करने के ऑपरेशन के दौरान, असम पुलिस को PFI समूह और बांग्लादेश स्थित अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT), जो कि भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा की एक शाखा AQIS है, के बीच आतंकवादी संबंधों का पता चला। साउथ एशिया टेररिज्म वेब पर मिली जानकारी के अनुसार, असम पुलिस की विशेष शाखा के ADGP हिरेन नाथ ने 4 जून को कहा था कि पुलिस को इस बात के भी सबूत मिले हैं कि PFI ने ABT से संबंध तोड़ लिए है।

PFI के खिलाफ 16 और उसकी छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ दो शिकायतें असम पुलिस में दर्ज की गई थी। बारपेटा क्षेत्र में, पुलिस ने 15 अप्रैल को एक घटना की सूचना दी जिसमें 16 ABT सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें मकीबुल हुसैन भी शामिल था। हुसैन ने पूछताछ के दौरान बारपेटा जिले में PFI के अध्यक्ष होने की बात कबूल की। ABT में शामिल होने पर उसे निचले असम में PFI द्वारा नियोजित किया गया था, लेकिन बाद में संगठन में शामिल होने के लिए छोड़ दिया गया, जहां उसने मेहदी हसन से प्रशिक्षण प्राप्त किया। बांग्लादेश में स्थित, ABT एक आतंकवादी संगठन है जिसका मॉडल अल-कायदा है।

Source- SATP

RSS कार्यकर्ता की हत्या 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता रुद्रेश की 6 अक्टूबर 2016 को हत्या कर दी गई थी। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने अगले दिन चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार होने वाला पांचवां संदिग्ध बेंगलुरु का PFI का जिला अध्यक्ष असीम शरीफ था। चार प्राथमिक संदिग्धों, जैसा कि अधिकारी ने रिपोर्ट किया था, ने कहा कि उन्होंने शरीफ के निर्देश पर इस हत्या को अंजाम दिया। पुलिस अधिकारी ने, संदिग्धों का हवाला देते हुए बताया कि, PFI के पदाधिकारी ने उन्हें रुद्रेश सहित RSS के दो और कार्यकर्ताओ को मारने का निर्देश दिया था

Source- Decan Herald

एक अन्य RSS कार्यकर्ता संजीत की हत्या में भी PFI की संलिप्तता पाई गई थी। PFI की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के सदस्यों द्वारा 15 नवंबर को RSS के 26 वर्षीय सदस्य संजीत की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में हमने पाया कि PFI नेता को हत्या के सिलसिले में हिरासत में लिया गया था। पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए आरोपी का हत्या में सीधा हाथ था l

Source- India Today

रुद्रेश और संजीत के साथ, एस.के. श्रीनिवासन की भी PFI के गुंडों ने हत्या कर दी थी। पूर्व जिला नेता और RSS के पदाधिकारी श्रीनिवासन पर 16 अप्रैल को मेलमुरी में उनके मोटरसाइकिल व्यवसाय पर छह सदस्यों के एक गिरोह ने हमला किया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 अप्रैल को PFI नेता सुबैर की हत्या का बदला लेने के लिए एस.के. श्रीनिवासन की हत्या की गई थी

पलक्कड़ के PFI जिला सचिव अबूबकर सिद्दीक को 16 अप्रैल को RSS नेता एस.के. श्रीनिवासन की हत्या की साजिश रचने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। श्रीनिवासन की हत्या के सिलसिले में, PFI या उसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के लिए काम करने वाले या उससे जुड़े 20 से अधिक व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया था।

Source- Indian Express

एस.के. श्रीनिवासन हत्याकांड की जांच के दौरान पता चला कि केरल में 100 से अधिक BJP और RSS नेताओं के नाम चरमपंथी इस्लामी समूह PFI के सदस्यों द्वारा हत्या के लिए हिट लिस्ट में था। BJP के राज्य महासचिव सी कृष्णकुमार और BJP के युवा नेता प्रशांत सिवन को सूची में सूचीबद्ध किया गया था। PFI की सूची में मृतक श्रीनिवासन भी शामिल हैं।

PFI के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस 

PFI की फंडिंग की ED की जांच से पता चला कि PFI को संदिग्ध स्रोतों से धन राशि प्राप्त हुई थी

13 मई 2022 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज के अनुसार, 6 फरवरी 2022 को, ED ने PFI और उसकी छात्र शाखा, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के पांच अधिकारियों/सदस्यों के खिलाफ अभियोजन का आरोप दायर किया था। ED द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2022 के प्रावधानों के तहत PFI दो नेताओं के खिलाफ एक पूरक अभियोजन शिकायत भी दर्ज की गई थी। अदालत ने सभी संदिग्धों को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी पाया था

Source- ED

अब्दुल रजाक पीडियाक्कल और अशरफ खादिर, जो विदेशी संगठनों के माध्यम से अन्य PFI नेताओं और सदस्यों से जुड़े हैं, पूरक अभियोजन मामले में आरोपी हैं। विदेशों से प्राप्त धन शोधन के इरादे से वे मुन्नार में आवासीय मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट (MVVP) का निर्माण कर रहे थे।

अब्दुल रजाक और अशरफ एम.के. को PMLA की धारा 19 के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए जांच के दौरान हिरासत में लिया गया था। PMLA  की जांच से पता चला कि दोनों नेताओं ने भारत और विदेशों में पैसा बनाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची और अनाधिकृत और अवैध तरीकों के माध्यम से धोखाधड़ी से धन हस्तांतरित किया। इस आपराधिक साजिश में PFI के अन्य सदस्य भी सक्रिय रूप से शामिल थे।

Source- ED

1 जून, 2022 को ED द्वारा जारी एक अन्य प्रेस रिलीज के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े 23 बैंक खातों से 59 लाख रुपये कंबाइन बैलेंस तथा PFIरिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF) के संलग्न 10 बैंक खातों से 9.50 लाख रुपये की राशि का मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लिंक का पता लगाया है।  

वर्ष 2009 से अब तक PFI के खातों में 60 करोड़ रुपये से ज्यादा डाले जा चुके हैं, जिसमें 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का नकद भी शामिल है। इसी तरह, ED के एक बयान के अनुसार, 2010 से RIF के खातों में लगभग 58 करोड़ रुपये डाले गए हैं।

Source- ED

एंटी CAA विरोध प्रदर्शनों में PFI की भूमिका 

CAA कानून के बाद देश भर में विरोध की स्थिति उत्पन्न हुई थी। देश के कई स्थानों में हिंसा की घटनाएं हुई हैं तथा उत्तर भारत के मे बहुत अधिक असंतोष और हिंसा  की घटनाएँ हुई थी।

हमारी पड़ताल में, हमने पाया कि PFI, जो अपनी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए कुख्यात है, के बारे में कहा जाता है कि इसने उत्तर-प्रदेश में CAA विरोधी प्रदर्शनों को वित्त पोषित किया था। अपने पड़ताल के दौरान, हमें इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें कहा गया था कि अधिकारियों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और केरल स्थित संगठन PFI के खिलाफ उत्तर-प्रदेश में हिंसक प्रदर्शनों के बीच एक वित्तीय सांठगांठ होने का पता लगाया था।

Source- Economics Times

हमने यह भी पाया कि ED ने कहा कि PFI ने 120 करोड़ रुपये जुटाए। कहा जाता है कि इन पैसों का इस्तेमाल PFI से जुड़े संगठनों ने पूरे उत्तर-प्रदेश में CAA विरोधी प्रदर्शनों का समर्थन करने के लिए जाने वाला था। PFI के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की और से FIR और चार्ज शीट दायर की गई थी।

हाथरस षड़यंत्र 

इस्लामिक संगठनों की अपनी जांच के दौरान, CAA विरोधी रैलियों और दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के वित्तपोषित करने का संदेह था, ED ने पाया कि PFI ने सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के लिए हाथरस मामले में साजिश रची थी। तब ED ने PFI और उसकी छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की थी।

5 अक्टूबर, 2020 को दायर चार्जशीट के अनुसार, अतिकुर रहमान और अन्य आरोपियों को हाथरस की यात्रा के दौरान एक साजिश के तहत अशांति पैदा करने के उद्देश्य से गिरफ्तार किया गया था। अतीकुर रहमान PFI का सदस्य है, के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 153 (ए) (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास या भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 124 (ए) (देशद्रोह), 295 (  ए) (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, धार्मिक भावनाओं को भड़काने के इरादे से), और 120 (बी) 5 अक्टूबर, 2020 , की धाराओं में चार्ज लगाए गए थे। उसके खिलाफ 500 पन्नों की चार्जशीट (आपराधिक साजिश) दायर की गई थी।  इसके अतिरिक्त, उस पर आईटी अधिनियम के कई प्रावधानों के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 17 और 18 का उल्लंघन करने का आरोप है, जो आतंकवाद के लिए धन जुटाने से संबंधित है।

Chargesheet filed against Atikur Rahman

5 अक्टूबर, 2020 को फोन पर बातचीत में, आरोपी अतीकुर रहमान के बैंक खाते में रऊफ द्वारा 5,000 रुपये का हस्तांतरण, अतिरिक्त सबूत प्रदान करता है कि हिरासत में लिए गए चारों संदिग्धों ने PFI समूह के निर्देश पर केवल हाथरस की यात्रा की थी।

अतिकुर रहमान के पास से एक लैपटॉप, 6 स्मार्टफोन और 1717 मुद्रित दस्तावेज पाए गए। इन लिखित दस्तावेजों में यह बताया गया था कि दंगों के दौरान दंगाइयों को पहचानने से रोकने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।

Chargesheet filed against Aikur Rahman in Hathras Conspiracy

PFI घातक आतंकवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध साझा करने वाला एक संगठन है। यह सिर्फ एक या दो नहीं बल्कि कई मामलों में कई आतंकी संगठनों से जुड़ा रहा है। PFI वर्षों से देश के अंदर राष्ट्र विरोधी अभियानों में लिप्त रहा है और कई युवाओं को आतंकी शिविरों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसलिए, PFI  को भारत की लोकतांत्रिक आवाज के रूप में संदर्भित करना पूरी तरह से बेतुका है।

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जय हिन्द !

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