Home हिंदी फैक्ट चेक: नामीबिया से आये चीतों के लिये मोदी सरकार ने राजस्थान से हिरणें नहीं भेजी

फैक्ट चेक: नामीबिया से आये चीतों के लिये मोदी सरकार ने राजस्थान से हिरणें नहीं भेजी

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17 सितम्बर 2022 को मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए 8 चीते छोड़े जाने के बाद इसको लेकर कई खबरें आजकल सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही हैं. ऐसी ही एक खबर में दावा किया गया कि नामीबिया से आये चीतों के लिये मोदी सरकार 400 हिरणें राजस्थान से भेजेगी.

इस खबर को राजस्थान सरकार में राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई, राजस्थान के आप चुनाव प्रभारी राजस्थान व दिल्ली के द्वारका से विधायक विनय मिश्रा, राजस्थान से कांग्रेस विधायक विजयपाल मिर्धा व महेंद्र बिश्नोई समेत कई अन्य लोगों नें साझा किया है.

आर्काइव लिंक

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Fact Check

खबर का प्रभाव इतना हुआ कि राजस्थान व हरियाणा में बिश्नोई समाज द्वारा कथित फैसले का विरोध तक शुरू हो गया.

मामले को पर्यावरण के अलावा एक समाज की भावनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है इसलिए यह पूरा मामला ही सम्वेदनशील हो गया लिहाजा हमनें इसकी पड़ताल की.

घटना को मध्यप्रदेश से जोड़ा जा रहा था लिहाजा अपनी पड़ताल के लिए सबसे पहले हमनें मध्यप्रदेश सरकार के वन विभाग की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. इस दौरान हमें वन विभाग के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा कथित फैसले के खंडन वाला एक बयान मिल गया. बयान में कहा गया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बड़ी संख्या में चीतल हैं. यहाँ अन्य स्थानों अथवा राज्यों से चीतल लाये जाने की आवश्यकता नहीं है और न ही लाये गये हैं.

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) जसबीर सिंह चौहान ने बताया है कि मध्यप्रदेश के वनों में बड़ी संख्या में चीतल हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय उद्यान कान्हा में 30 हजार, पेंच में 50 हजार, बांधवगढ़ में 30 हजार और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में 10 हजार चीतल हैं. संजय राष्ट्रीय उद्यान और नौरादेही अभयारण्य में चीतलों की संख्या कम है.

आगे बताया कि अंतर्राज्यीय वन्य-प्राणी स्थानांतरण के लिये भारत सरकार एवं संबंधित राज्यों की सहमति आवश्यक होती है. मध्यप्रदेश में चीतलों की संख्या पर्याप्त मात्रा में होने से यहाँ अन्य राज्यों से चीतल लाने की कोई आवश्यकता नहीं है. प्रदेश में वर्ष 2015 से सक्रिय वन्य-प्राणी प्रबंधन किया जा रहा है, जिसमें राज्य में एक अभयारण्य/राष्ट्रीय उद्यान से दूसरे में पशुओं को स्थानांतरित किया जाता है. इसके माध्यम से पर्यावास को बचाये रखने के लिये वन्य-प्राणियों के जैविक दबाव को कम किया जाता है.

प्रधान मुख्य वन संरक्षक चौहान ने बताया कि प्रदेश में वन्य-प्राणियों के अच्छे प्रबंधन एवं उनके संरक्षण में विश्नोई समाज का सराहनीय योगदान है. विश्नोई समाज की अमृता देवी के नाम पर वन्य-प्राणी संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिये पुरस्कार दिये जाते हैं.

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इसके अलावा भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई ने भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) जसबीर सिंह चौहान द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति को सोशल मीडिया पर शेयर किया और कहा कि किसी भी हिरण या चीतल को नहीं भेजा गया. सभी से मेरा अनुरोध है कि इस मामले में फैलाई जा रही झूठी खबरों से सावधान रहें.

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इन तमाम बिन्दुओं के विश्लेषण से साफ है कि राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा किया गया दावा, नामीबिया से आये चीतों के लिये मोदी सरकार 400 हिरण राजस्थान से भेजेगी, पूरी तरह से गलत व निराधार है.

Claim
नामीबिया से आये चीतों के लिये मोदी सरकार 400 हिरण राजस्थान से भेजेगी
Claimed by
राजस्थान के राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई, राजस्थान के आप चुनाव प्रभारी राजस्थान व दिल्ली के द्वारका से विधायक विनय मिश्रा, राजस्थान से कांग्रेस विधायक विजयपाल मिर्धा व महेंद्र बिश्नोई
Fact Check
दावा गलत है, कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पहले से ही बड़ी संख्या में चीतल हैं व अंतर्राज्यीय वन्य-प्राणी स्थानांतरण के लिये भारत सरकार एवं संबंधित राज्यों की सहमति आवश्यक होती है

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जय हिन्द।

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