Home Others विस्तृत रिपोर्ट :इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400% फ़ीस वृद्धि के पीछे का सच ।

विस्तृत रिपोर्ट :इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400% फ़ीस वृद्धि के पीछे का सच ।

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पिछले सप्ताह से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र फ़ीस में 400% की वृद्धि को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा ने इस विरोध प्रदर्शन के पक्ष में तर्क देते हुए एक ट्वीट कर लिखा कि उत्तर-प्रदेश और बिहार के साधारण आय परिवार के छात्र जो संस्थान में पढ़ने आते है। सरकार फीस वृद्धि इन युवाओं को शिक्षा के एक महत्वपूर्ण स्रोत से वंचित कर देगी।

उन्होंने आग्रह किया कि भारतीय जनता पार्टी इस युवा विरोधी निर्णय को तुरंत रद्द करें।   

आर्काइव लिंक 

13 सितंबर 2022 को उत्तर-प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने यह कहते हुए प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया कि फ़ीस में 400% की वृद्धि के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन भाजपा सरकार से निराशा का प्रतीक है। 

आर्काइव लिंक 

फ़ीस वृद्धि को लेकर विपक्ष द्वारा किया गए दावे, जिनमें यह कहा गया कि भाजपा सरकार युवा विरोधी है, संदेहास्पद लगे इसलिए हमने मामले की पड़ताल की।   

अपनी पड़ताल में हमें इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी जया कपूर ने कहा कि विश्वविद्यालय की फ़ीस वृद्धि 110 वर्ष बाद की गई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शुल्क वृद्धि का निर्णय लंबे समय तक कार्यकारी परिषद, जो कि सर्वोच्च निकाय है, के द्वारा विचार विमर्श के बाद लिया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पढ़ रहे छात्रों पर फीस वृद्धि नीति लागू नहीं होगी तथा 2022-23 शैक्षणिक सत्र से नए प्रवेशकों पर लागू होगी।  

Source- Indian Express

उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण थे जब मासिक शिक्षण शुल्क 12 रू. प्रतिमाह लिया जा रहा था। नई शिक्षा नीति के तहत जब नए पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं और नए प्रशिक्षकों को नियुक्त किया जा रहा है तब पुराने ढांचे के साथ इसे जारी नहीं रखा जा सकता था। अतः सरकार ने हमें संसाधनों व्यवस्था खुद करने को कहा था। 

Source- Indian Express

इस मामले की और पर जाँच करने पर हमें हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी प्रो. जया कपूर ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय भी कई वर्षों से अन्य विश्वविद्यालयों की तरह धन की कमी का सामना कर रहा है, लेकिन फ़ीस बढ़ाने को लेकर परहेज़ किया जा रहा था। सरकार के आदेश के अनुसार विश्वविद्यालय को सरकार पर अपनी निर्भरता कम कम करनी चाहिए और परिसर के जीर्णोद्वार एवं अनुरक्षण कार्य के लिए स्वयं के कोष का सृजन करना चाहिए। 

Source- Hindustan Times

आगे उन्होंने कहा कि फीस को लगभग अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर तक ही बढ़ाया गया है फिर भी फीस अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तुलना में कम ही है। उदाहरण के लिए विज्ञान विषय के स्नातक का पाठ्यक्रम शुल्क अन्य सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तुलना में सबसे कम (4,151 रु. प्रति वर्ष) है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि, “तथाकथित क्षेत्र नेता सुर्खियों में ध्यान खींचकर सस्ते प्रचार और लाइमलाइट हासिल करने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जो उनके लिए आसानी से राजनीति के द्वार खोल देगा।” 

Source- Hindustan Times

हमारी पड़ताल के बाद यह साफ़ है कि फीस वृद्धि शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से शुरू होने वाले नए छात्रों पर लागू होगी व वर्तमान विश्वविद्यालय के छात्रों पर लागू नहीं होगी। नतीजतन, पहले 12 रूपये प्रति माह की ट्यूशन लागत अब बढ़कर 50-60 रूपये प्रतिमाह हो गई है।  

अतः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव द्वारा चुनिंदा तथ्यों का इस्तेमाल कर जनता को भ्रमित किया जा रहा है।  

दावाभाजपा सरकार ने युवा विरोधी कदम उठाया है 
दावेदारअखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव
फैक्ट चैक चुनिंदा तथ्यों का इस्तेमाल कर जनता को भ्रमित किया जा रहा है। 

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जय हिन्द !

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